चित्तौड़गढ़- शुभ वेला अभिजित मुहूर्त में उक्त आश्रम के महंत श्री श्यामा दास जी महाराज ने आश्रम के भविष्य में भी सुचारु रूप से संचालन हेतु अपने शिष्य बाल ब्रह्मचारी श्री केशव दास जी को उत्तराधिकारी घोषित कर, मेवाड़ महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 श्री महंत चेतन दास जी महाराज, सांवलिया धाम मुंगाना के सानिध्य एवं मेवाड़ मण्डल के गणमान्य पूज्य श्री महंतों की समुपस्थिति में वेदज्ञ विप्रों द्वारा वैदिक विधि-विधान पूर्वक यह उत्सव सम्पन्न कराया गया। सबसे पूर्व, आश्रम में स्थित श्री केदारेश्वर महादेव एवं श्री केशरीनन्दन हनुमान जी के श्री विग्रह का वेदध्वनि के साथ दुग्धाभिषेक और मनमोहक श्रृंगार किया गया, तत्पश्चात् यथाविधि यज्ञवेदी में आहुतियां दी गईं। मंदिर के शिखर पर ध्वजादण्ड चढ़ाया गया।
पुण्य वेला में सबसे पहले साकेत धाम आश्रम के महंत श्यामा दास जी महाराज ने उत्तराधिकार की प्रतीक चादर ओढ़ाकर भगवान की सेवा पूजात और आश्रम की व्यवस्था व देख-रेख की जिम्मेदारी प्रदान की।
इस अवसर पर हम्मीरगढ़ से मेवाड़ मण्डल के अध्यक्ष श्री 108श्री महंत रामसागर दास जी महाराज, बांसवाड़ा से श्री महंत हरीओम जी महाराज, भीलवाड़ा से श्री महंत आशुतोष दास जी महाराज, श्री महंत लालबाबा जी महाराज, अयोध्या से श्री रामराघवेन्द्र दास जी महाराज, बड़ी सादड़ी से पधारे अनंत श्री स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज, सावा स्थित, श्री पाल के हनुमान जी मन्दिर के श्री महंत रामबालक दास जी महाराज तथा चित्तौड़गढ़ सांसद चन्द्र प्रकाश जोशी एवं विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या भी उपस्थित थे। मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष एवं हिन्दुस्तान जिंक संस्थान के श्रमिक संगठन इंटक के नेता घनश्याम सिंह राणावत, एस के मोड़, जी एन चौहान, पी सी बाफना आदि की उपस्थिति से कार्यक्रम उत्साह पूर्ण सम्पन्न हुआ। श्री सुदर्शनाचार्य जी महाराज ने अपने उद्बोधन में सन्त महिमा की महत्ता प्रतिपादित करते हुए सनातन धर्म के लक्षण हेतु नगर नगर, गाँव गांव में मंदिरों और सन्तों के निवास की आवश्यकता बताई। श्री महंत हरीओम जी महाराज ने संत परम्परा के संबंध में अत्यंत ही मार्मिक उद्बोधन देते हुए कहा कि माता पिता तो संयोगजन्य संतति उत्पन्न करते हैं, किंतु सद्गुरु ब्रह्मनाद मंत्राक्षरों का कर्ण रंध्र से समावशित कर ध्रुव एवं प्रह्लाद के अनुरूप आदर्श शिष्यों का सृजन करते हैं। अंत में भगवान के नाम के जयघोष के साथ संत सभा संपन्न हुई तथा प्रसाद वितरण किया गया।