निंबाहेड़ा। जिस प्रकार भोजन शरीर को तृप्त करता है उसी प्रकार कथा आत्मा को तृप्त करती है, भोजन से कुछ समय तृप्ति मिलती है जबकि कथा से आत्मा जीवन पर्यंत तृप्त रहती है यह बातें भागवत भूषण संत पं. नारायण प्रसाद ओझा ने कदम परिवार द्वारा दशहरा मैदान में आयोजित कराए जा रहे भागवत ज्ञान गंगा सप्ताह में कथा वाचन के दौरान कहीं उन्होंने कहा कि शरीर तो मिटने वाला है और आत्मा तुम स्वयं हो। कथा रूपी जहाज में हर सवारी को बैठने का अधिकार होता है जो इस जहाज में बैठ जाता है वह अपनी मंजिल पा लेता है चाहे वह योगी हो या भोगी हो, तंदुरुस्त हो या रोगी हो, ज्ञानी हो या अज्ञानी हो।
दशहरा मैदान में चल रही कथा के पांचवे दिन संत ओझा का कथा वाचन से पूर्व कदम परिवार द्वारा स्वागत कर व्यासपीठ की पूजा अर्चना की और आज कथा पांडाल में पूर्व मंत्री श्रीचन्द कृपलानी, अशोक नवलखा,नितिन चतुर्वेदी, सत्यमेव सेठिया, लक्ष्मण सिंह बडोली, घनश्याम शर्मा, श्यामदास वैष्णव, महावीर चपलोत,रवि छाजेड़,अभय सर्वा, रामेश्वर लाल धाकड़, अंकुश तिवारी, बंसीलाल दशोरा, आनंद राव जाधव सागर धाकड़, ओम प्रकाश सालवी देवीलाल जाट ने संत से आशीर्वाद प्राप्त किया।
कथा वाचन के दौरान संगीतमय भजनों की प्रस्तुति पर पंडाल में उपस्थित महिलाओं के कदम खूब थिरके।
कथा में नगर एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से आये महिला, पुरुष एवं बच्चों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।