जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण कराना कानूनन अनिवार्य


चित्तौड़गढ़। 
जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1969 एवं राजस्थान जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 2000 के तहत जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण कराना कानूनन अनिवार्य हैं। इस अधिनियम के तहत चिकित्सा संस्थान (जिला चिकित्सालय, प्राथमिक/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द) को भी जन्म-मृत्यु पंजीयन के लिए उप रजिस्ट्रार के रूप में अधिकृत किया गया हैं। उप रजिस्ट्रार का यह दायित्व है कि उसके संस्थान परिसर में घटित होने वाली समस्त समस्त घटनाओं का 21 दिवस के भीतर पहचान पोर्टल पर शत प्रतिशत पंजीयन करें।

सीएचसी का किया निरीक्षण
जिला रजिस्ट्रार जन्म-मृत्यु एवं सहायक निदेशक आर्थिक एवं सांख्यिकी, चित्तौड़गढ़ डॉ. सोनल राज कोठारी ने मंगलवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, साड़ास एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र गंगरार का निरीक्षण किया। पीसीटीएस व पहचान पोर्टल पर दर्ज घटनाओं का अवलोकन करने पर पाया गया कि परिसर में घटित होने वाली समस्त घटनाओं का समय पर पंजीयन नहीं किया जा रहा है। सम्बधित रजिस्ट्रार ग्राम विकास अधिकारी के यहां कार्यभार बढता है। संबंधित चिकित्सा अधिकारी (उप-रजिस्ट्रार) को निर्देश दिये गये कि भर्ती करते समय समस्त दस्तावेज प्राप्त कर जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन करना सुनिश्चित करें।

बिना नाम का प्रमाण पत्र भी कर सकते जारी

 जिला रजिस्ट्रार ने अधिनियम की जानकारी देते हुए बताया कि बिना नाम का प्रमाण पत्र भी जारी किया जा सकता है तत्पश्चात 15 वर्ष की अवधि तक संबधित रजिस्ट्रार कार्यालय में आवेदन कर नाम जुडवाकर उसी रजिस्ट्रेशन नम्बर का पुन प्रमाण प्राप्त किया जा सकता है। नाम जोडने से पूर्व संबधित को यह अवगत करा दे कि भविष्य में बच्चे के नाम में परिवर्तन हेतु बिना गजट नोटिफिकेशन संभव नहीं हैं।