अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद के युवा प्रकोष्ठ ने किया काव्य गोष्ठी का आयोजन,

अखिल भारतीय साहित्य परिषद चितौड़गढ़ के युवा प्रकोष्ठ द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी कल्याणी दीक्षित रही। विशिष्ट अतिथि साहित्यकार डॉ प्रभा मिश्रा रही। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता बाल कल्याण समिति की पूर्व अध्यक्ष डॉ सुशीला लड्ढा ने की। कार्यक्रम की शुरुआत माया साहू के परिषद के द्वारा किया गया। अतिथियों का स्वागत एवं परिचय रूपम चौधरी ने किया। अखिल भारतीय साहित्य परिषद चितौड़गढ़ के युवा प्रकोष्ठ की अध्यक्ष डॉ इंद्रा बल्दवा ने बताया कि काव्य गोष्ठी में किरण शर्मा 'कस्तूरी' ने "मैं नारी हूं ना हारी हूं ना किस्मत पर रोती हूं अपने अरमानों को पूरा करने के जूनून में हद से गुजर जाती हूं", पंकज 'सरकार' ने जोशीला गीत "अब छेड़ दिया है रणभेरी का राग हमारी सेना ने, दुश्मन को दी है धूल चटा अब आज हमारी सेना ने", सुशीला माहेश्वरी ने "आसमान की बुलंदियों को छूने की ताकत रखती हूं नहीं कोई काम ऐसा जिसे असंभव समझती हूं", 
तृप्ति कुमावत ने "नारी तुम हो शक्ति स्वरूपा हां तुम ही नव जीवन देती सृष्टि में एक तुम ही प्रणिता नव सृजन को जीवन देती", प्रियंका सोमानी ने "हर परिस्थिति में सामंजस्य बिठा लेती हूं मैं नारी हूं सब संभाल लेती हूँ", कृष्णा सिन्हा ने "अभिव्यक्त मौन की परिभाषा मैअतृप्त स्वप्न सी अभिलाषा मै", कैलाश शर्मा ने "सुनो रूपवती तुम, गुणवती सत्यवती मिथ्या जग तुम यहाँ, जीवंत विधाता हो", संध्या पवार ने "भारतीय नारी,जग में रही भारी।दुनिया के आगे देखो,कभी नही हारी", पूनम गुप्ता 'कलिका' ने "भरी सभा में कबसे द्रौपदी चीखे है चिल्लाए। कोई न बोले मौन हैं सारे सब हैं शीश झुकाए", मनीषा गिरी 'मनमुग्धा' ने "मैं स्त्री हूॅं,हर परिस्थिति में जीना जानती हूॅं। कभी बनकर लाडली खूब खिलखिलाती हूॅं", शिखा झा ने "दया की सागर को धार बना के तुम भी लहरों सी हुंकार भरो। अबला नहीं हो तुम नारी इस बात का अभिमान करो", संध्या चौधरी उर्वशी ने "नारी तू नर से भारी फिर भी क्यों दिखाती लाचारी सृष्टि की रचना करती इसलिए तू महान कहलाती", नीलू सक्सेना ने "मान मिले सम्मान मिले नारी को उचित स्थान मिले", प्रहलाद क्रांति ने  "मैं नारी हूँ पर ठोकर खाकर ,देखो बनी शक्तिशाली हूँ" कविता पढ़कर सबको जोश से भर दिया। विशिष्ट अतिथि डॉ प्रभा मिश्रा ने एक कविता "लौट जा तट से न मेरे साथ आ
मैं लहर हूँ और बहना है मुझे " पढ़कर अपनी भावनाएं व्यक्त की। मुख्य अतिथि पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी कल्याणी दीक्षित ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज की नारी जाग चुकी है अपने अधिकारों के लिए लड़ सकती है। जीवन के हर क्षेत्र में वह आज अपनी सक्रिय भूमिका निभा रही है। अध्यक्षता कर रहे डॉ सुशीला लड्ढा ने अपने उद्बोधन में कहा कि केवल नारी दिवस पर ही नारी का सम्मान न करें बल्कि वर्ष के तीन सौ पैंसठ दिन प्रत्येक मातृशक्ति का सम्मान होना चाहिए।
गोष्ठी का कुशल संचालन कवयित्री प्रियंका सोमानी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन परिषद के युवा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष राकेश चौधरी ने किया। गोष्ठी का समापन पंकज झा के द्वारा कल्याण मंत्र से किया गया।
इस अवसर पर डॉक्टर इंदिरा बल्दवा, श्रीपाल सिसोदिया, सत्यनारायण जोशी, कृष्णा वैष्णव, तरुणा गोखरू सहित प्रमुख कार्यकर्ता उपस्थित रहे।