भागवत कथा में छप्पन भोग धराया एवं गोवर्धन पर्वत की मनोहारी झांकी सजाई

चित्तौड़गढ़। समीपवर्ती घोसुंडा में श्री कल्लाजी वेदपीठ एवं शोध संस्थान के तत्वावधान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में भागवत आचार्य श्री ऋषिकेश मिश्रा ने श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया। जिसमें पूतना उद्धार, शकटासुर, कालिया नाग, यमलार्जुन, तृणावर्त, माता यशोदा को अपने मुख में विराट स्वरूप के दर्शन कराने जैसे भागवत के कई प्रसंगों का उल्लेख किया तथा माखन लीला का व्याख्यान करते हुए कहा कि माखन शुद्धता, पवित्रता का प्रतीक है, जो शुभ्र एवं सत्य है। इसलिए प्रभु सत्य भावना को ग्रहण करते हैं। इसी के साथ व्यक्ति को संस्कारित होना चाहिए। शास्त्रों में षोडश संस्कार बताएं गए हैं। संस्कार सही होंगे तो संस्कृति जीवंत रहेगी। सभी गौमाता का पालन करें। उन्होंने बताया कि वर्तमान में श्रीकल्लाजी गौशाला में 300 गौमाता की सेवा होती हैं। कथा के दौरान जब प्रहलाद कृष्णजी ने अपने सुरीले अंदाज में गोकुलवासियों को वृन्दावन ले जाने के लिए मन चल वृन्दावन धाम भजन की प्रस्तुति दी, तो भक्तो को ऐसा लगा मानो हम साक्षात वृन्दावन में आए हैं और पांडाल में सभी श्रोता झूमकर नृत्य करने लगें।
इस दौरान उन्होंने ब्रह्माजी एवं इंद्र का मान मर्दन करते हुए अपनी तर्जनी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत धारण किया श्रीकृष्ण द्वारा सात दिवस तक गोवर्धन पर्वत को धारण करने के बाद पुनः धरती पर स्थापित करने के दौरान भोजन नहीं करने पर मैय्या यशोदा द्वारा प्रतिदिन 8 प्रकार के व्यंजन की पूर्ति करने के लिए श्रीकृष्ण को छप्पन भोग धराया गया और गोवर्धन पर्वत की मनोहारी झांकी सजाई गई। जिसे श्रीकृष्ण ने धारण कर रखा था और उसके नीचे सुदामा आदि बालसखा सहारा लगाते हुए नृत्य कर रहे थे। नुवाल परिवार और समस्त घोसुण्डा वासियों सहित निंबाहेड़ा स्थित श्रीकल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन कैलाश मुंदड़ा, रामप्रसाद मुंदड़ा, लालचंद केवलानी ने कथामृत का रसास्वादन किया।