टीम जीवनदाता के एक फ़ोन पर कविता धाकड़ ने खून देकर बचाई मासूम की जान

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टीम जीवनदाता संस्था जिले भर में रक्तदान के प्रति दिन प्रतिदिन लोगों में जागरूकता की चेतना शुरू कर लोगों का जीवन बचा रही है बात करें डेंगू बीमारी के दौर की या कोरोना महामारी के दौर की तो दोनों संकटकाल में टीम जीवनदाता ने अहम भूमिका निभाकर जिलेभर में हजारों जिंदगियां बचाने का काम किया है संस्था ने मानवता को सर्वोपरि रखकर रक्तदान की ऐसी जनचेतना जगा दी है कि युवा हर रोज दूर दूर ग्रामीण अंचल से ब्लड बैंक आकर रक्त का दान कर जरूरतमंदों का जीवन बचा रहे है इसी क्रम में मंगलवार को जिला महिला बाल चिकित्सालय में उपचाररत 1 माह का मासूम नवजात खून की कमी होने की वजह से जिंदगी और मौत के बीच लड़ रहा था मंगलवार रात को जब चिकित्सकों द्वारा बीमार नवजात के पिता को खून चढ़ाने को कहा तो पिता ने अपने प्रयास किये किंतु आशा की कोई उम्मीद नजर नही आई तभी चिकित्सा कर्मियों की मदद से टीम जीवनदाता सम्पर्क हुआ तो टीम जीवनदाता संस्था द्वारा आंवलहेड़ा बी एस सी छात्रा कविता धाकड़ से सम्पर्क कर रक्तदान के लिए अनुरोध किया मंगलवार रात कविता उस समय अपने बीमार रिश्तेदार के पास चिकित्सालय में ही मौजूद थी तो रक्तविरांगना कविता मासूम का जीवन बचाने के लिए ब्लड बैंक पहुंची जहां कविता ने अपने जीवन का पहला रक्तदान कर मासूम बच्चे को नई जिंदगी दी और उत्साह के साथ धाकड़ ने कहा कि अब में हर 3 माह में नियमित रक्तदान करूंगी ताकि इसी तरह से में मानवसेवा में अपना योगदान देती रहूंगी समाज के हर वर्ग को इस जीवनदायिनी यज्ञ में अपना योगदान देना चाहिए रक्तदान से बड़ी ईश्वर की कोई पूजा नही हो सकती हर स्वस्थ युवा को नियमित रक्तदान करना चाहिए
वही दूसरी और संस्था के माध्यम से अलग अलग मरीजों के लिए इमरजेंसी में गोपाल अहीर,हरीश खटीक,अनुराग धाकड़, देवदान चारण, बबलू पटेल,सतीश धाकड़, दीपक खटीक ने लाइव डोनेशन कर मरीजों का जीवन बचाया