अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ऑनलाइन नवसृजन काव्य गोष्ठी आयोजित।


चित्तोडगढ़।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद, चित्तौड़गढ़ इकाई द्वारा ऑनलाइन  नवसृजन काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। काव्यगोष्ठी की सुमधुर शुरुआत माया साहू एवं शिखा झा ने परिषद गीत से की। अतिथियों का स्वागत एवं परिचय परिषद के युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवं कवयित्री डॉ. इंदिरा बल्दवा ने किया। काव्यगोष्ठी में मुख्य अतिथि अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर समरेंद्र सिंह सिकरवार, विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार सुभाष चंद्र बैरागी एवं अध्यक्षता निंबाहेड़ा के वरिष्ठ पत्रकार मनोज सोनी द्वारा की गयी। राजस्थान के अलावा देश के अन्य प्रांतो से भी कविगण एवं श्रोतागण शामिल हुए।
गोष्ठी में मुख्य अतिथि अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश समरेंद्र सिंह ने कहा कि कवि के शब्द सुषुप्त मनुष्य में भी जान फुक सकते हैं साहित्यकार समाज में नई जागृति लाते हैं। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार सुभाष चंद्र बैरागी ने कहा कि साहित्यकार समाज को समय के साथ बदलाव हेतु तैयार करते है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार मनोज सोनी ने कहा कि गोष्ठी में काव्य के सभी रसों का अद्भुत संयोग देखने सुनने को मिला है। राकेश 'राजगुरु' ने "पलटता हुं दिल की किताब के पन्ने  में जब भी होता हूं थोड़ी सी फुर्सत में", पंकज कुमार झा "सरकार" ने राष्ट्र भक्ति से ओत प्रोत गीत " जो चला गया निज हाथों से उसको फिर से पाना होगा, स्वेद रक्त की बूंदों से फिर से गौरव लाना होगा",  कृष्णा वैष्णव ने "कागज से मैं लोहा काटू, ऐसी मैं तलवार नहीं हूँ  लिखती केवल भाव मेरे मैं कोई फनकार नहीं हूँ",  कैलाश शर्मा ने "ये जो छाया मुझपे सुरूर है दिल मे बस गया जिसका रूप है उसने दर पे अपने बुला लिया" किरण शर्मा कस्तूरी ने " हैवानियत की हद पार कर रहा है इंसान जुल्म का शिकार हो रही है बेटियां",  प्रियंका सोमानी ने "वक्त ही तो है गुजर जाएगा इस अंधेरी रात के बाद एक नया सवेरा आएगा", सुनीता चाष्टा ने "मकर प्रभाती आती, याद ये हमारी लाती ", सुशीला माहेश्वरी ने "ना तुम कुछ बताते हो और ना ही तुम कुछ जताते हो फिर भी मेरे दिल की धड़कन को बढ़ाते हो", तृप्ति कुमावत ने "जब तक प्राण तन में है सामर्थ्य जब तक तन में है ना कर व्यर्थ समय तू भाया जप ले राम कण कण में है", डॉ. इंद्रा बल्दवा ने "जब मैंने उसे सड़क पर पत्थर उठाते देखा, उसकी आंखों में जीवन की परछाई देखी", प्रहलाद क्रांति ने "ये तूफ़ान क्या रोकेंगे हमारे बढ़ते क़दमों को हम संकल्पों से,खुशियों के बीज उगाते है", श्यामा सोलंकी ने "छोड़ कर मुझको अकेला वो किधर जाता है," विनोद रंगवानी ने "प्रीत की हठी डगर है, बर्फो से लदे मौसम सर्द हैं," मनजीत कौर ने "प्रेम की रोशनी मन में भरना, मन का अंधेरा मिटाना",  नीलू सक्सेना कस्तूरी ने "नये साल की पहली किरण मंद- मंद मुस्काती", डॉ उषा श्रीवास्तव ने "ढकते -ढकते रात दिन,चेहरा छुपाना याद है", डॉ गुलाब चंद पटेल ने "तिरंगा फहराएंगे भाई जम्मू कश्मीर जाएंगे" रचना प्रस्तुत की। काव्यागोष्ठी का कुशल संचालन कवयित्री ममता जटिया ने किया। आभार कृष्णा वैष्णव द्वारा व्यक्त किया गया। काव्य गोष्ठी का कल्याण मंत्र पढ़कर कविता खटवानी ने समापन किया। इस अवसर पर डॉ. सुशीला लड्डा, ललितनाथ झा, नीता राइवाल, योगेश चौबे, वर्षा गुप्ता, सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।