परिषद ने किया काव्य गोष्ठी का आयोजन

अखिल भारतीय साहित्य परिषद निंबाहेड़ा ने काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। परिषद के संरक्षक डा मुकुंद सागर , विभाग संयोजक श्रीपाल सिसोदिया एवं प्रांत महामंत्री पंकज कुमार झा ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कवयित्री सुशीला लड्ढा एवं सी पी लड्ढा रहे।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ शिखा झा के परिषद गीत से हुआ । अतिथियों का स्वागत परिषद के जिला महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष श्यामा सोलंकी ने किया। परिषद के महिला प्रकोष्ठ उपाध्यक्ष तृप्ति कुमावत ने बताया कि काव्य गोष्ठी में श्रीपाल सिसोदिया "सरल" ने "समय था जब गांधी की आंधी आई थी कहते हैं आजादी तो चरखे से आई थी", पंकज 'सरकार' ने श्रृंगार गीत "तुम अम्बर से लगते हो, जब प्यार मुझे करते हो, मैं तुम में खो जाता हूं, जब तुम मुझ में खोते हो", कृष्णा वैष्णव ने "खिला जबसे बसंती रंग ,पीली सरसों निखरती गयी", सुशीला माहेश्वरी ने "करूं क्या यशोगान मां के गुणों का दर्द की दवा और ममता की मूरत है मां", दीपिका सत्यदीप ने "फिदा हुं तुझपे मेरे तिरंगे दुश्मनों की नजर पड़े ना", हंसा स्वर्णकार ने "मां मेरे सपनों का आधार है ,बस टूटते बिखरते अंतर मन का विश्वास है", शौकीन धाकड़ ने कोराना संकट के दौरान लिखी कविता "गांव - गांव शहर-शहर, इस कदर बैठा डर, दुबक कर बैठ गए सब घर", करिश्मा पहाड़िया ने युवाओं की वेदना को अपनी कविता " रीट तू बीच रास्ते में क्यों छोड़ गई" में प्रस्तुत की। इस अवसर पर श्यामा सोलंकी, योगेश चौबे, डॉ. मुकुंद सागर भट्ट, शोभा सहज, वंदना प्रजापति, तृप्ति कुमावत ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। 
आभार परिषद के अध्यक्ष एस एन जोशी ने व्यक्त किया। कल्याण मंत्र तृप्ति कुमावत ने किया। कार्यक्रम सफल संचालन परिषद की नगर महामंत्री कृष्णा वैष्णव ने किया। इस अवसर पर ललित नाथ झा, कांति चंद्र शर्मा, सुधीर कुमावत,तरुणा गोखरू, तारा कुमावत,मुकेश वैष्णव, शशि कुमार जोशी, बालमुकुंद प्रधान, सीमा शर्मा, सीमा सोनी, सोनिया आमेटा, तृप्ति अग्रवाल, रूपम चौधरी, बीना झा, सुमित्रा भाटी  आदि परिषद कार्यकर्ता उपस्थित रहे।